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Preeti Sharma "ASEEM"

Others

5.0  

Preeti Sharma "ASEEM"

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उदास बसंत

उदास बसंत

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बसंत तुम....

क्यों उदास हो,

किस सोच में ....हो ?


कोहरे की लोई

उतारी ही नहीं,

जिंदगी की हकीकतों से ,

क्या............ 

तुम भी परेशान हो ?


बसंत तुम क्यों उदास हो ?

जिंदगी दौड़ रही है

एक उदासी -सी ,

हर चेहरे को घूर रही है ।


अपने अस्तित्व को ,

बचाने में हर जिंदगी ,

मर-मर के यहां घूम रही है ।


बसंत तुम क्यों उदास हो ,

किस सोच में हो ?


खुशियां बे -रंग हुईं हैं

अपनों को देखकर ,

अपनों के ,

एहसास से दंग हुई हैं।


किन के लिए ,

तुम फूल खिलाते

हंस -हंस के ,

सुगंधित हवा संग गाते।


 रंगों से सजी ,

बसंत बहार को ,

घर -घर के आंगन में लाते।


बसंत तुम क्यों उदास हो,

किस सोच में हो ?

जिंदगी की हकीकत से ,

क्या तुम भी परेशान हो?




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