त्रासदी है…
त्रासदी है…

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घबरा के,
छुप–छुप के,
किताबों में घुस के
जूझते देखा…
नादान बचपन को
जानने “शब्दों का” अर्थ,
जो सुने थे उसने
पहली बार
विद्यामंदिर के बाहर
मनचलों के मुख से।