तोड़ना
तोड़ना
1 min
285
मुश्किल है बहुत
माना 'सिर्फ' ज़रा सा
प्रेम चाहती स्त्री को
समझाना ।
मगर कभी चाहो
उस प्रेम जाल से
आज़ाद होना तो
उसके विनीत प्रेम का
उपहास करना
निर्लज्ज़ हो प्रेम मे
यह अहसास कराना।
ये भी याद रखना
एक मन भी होता है
उसका नाजुक सा
उसे व्यथित ही रखना
और जब ठान लो
जीवन से उसके रीत जाना
तो वो मन तोड़ देना ।
अगर न भी सफल हो
उपरोक्त से
तब इतना भर कह देना
परेशां हूँ तुम्हारे प्रेम से,
घुटन है इस मोह के बंधन से
वो चाहे त्यागे न त्यागे
अपना प्रेम तुम्हारे प्रति
मगर छोड़ देगी
प्रेम चाहना
उलाहना करना
आशा कोई करना
कहना कुछ तुमसे
बिना तुम्हे कोई दोष दिये।
