तमन्ना
तमन्ना
न जीना है पलभर तेरे बिन
कैसे गुज़ारू तुम बिन यह रात यह दिन
तुमको अपना बनाना चाहता हूँ इस ज़िन्दगी के लिए
मुमकिन नहीं हँसना मेरा बस तेरे बिन ।
तुमको क्या है मेरे लिए बता दो मुझे
प्यार है, चाहत है या नफरत समझा दो मुझे
ख्वाहिश हो तुम मेरी, हो मेरी जीने की उम्मीद
मुझे क्या मानती हो अपना, बस यह बतला दो मुझे ।
खुशियों की बारात तेरे दर पे रखना चाहता हूँ
तुम्हे जहाँ की सारी हँसी देना चाहता हूँ
गम में बहुत जी लिया तूने अब वक़्त है बदलाव का
तेरे कदमो में मै दुनिया जहाँ रखना चाहता हूँ ।
नाराज़गी को नफरत में मत बदल तू
किसी और को ज़िन्दगी में मत जगह दे तू
तू ही मेरे जीने की तमन्ना है तू है मेरी बंदगी
प्यार दे के मुझको सिर्फ अपना बना दे तू ।
