थोड़ी सी हंसी
थोड़ी सी हंसी
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लॉक -डाउन हो गया सभी के कामों का
और कचूमर बना मेरे अरमानों का।
घर में सबकी फरमाइश का रखते ध्यान,
सत्या नाश हो गया मेरे तो शानों का।
भूख भी ज़्यादा लगी आजकल बच्चों को,
बुरा हाल हो गया है दस्तरखानों का।
पति देव भी मांगे पानी तो चाय कभी,
पोस्टमार्टम करें कभी वो गानों का।
बर्तन, झाड़ू ,पौछा, कपड़े और खाना,
हो गया ख़ात्मा, मेरे सभी बहानो का।
कभी रिमोट या मोबाइल पर बच्चों के,
झगड़े सुनके हाल बुरा है कानों का।
दिल की बातें कभी तो घर पे करती थी,
लॉक-डाउन हो गया मेरे अफसानों का।
