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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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तेरे बिना,पिया

तेरे बिना,पिया

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मेरी ये जिंदगी मेरे पिया तेरे बिना एक अभागी सी जोगन है

दिन रात तेरा स्मरण करती हूं,तू खोया हुआ कोई स्मृति वन है,


हर रोज दरिया की लहरों से ज़्यादा तूफान इसमें उठते रहते हैं,

ये मेरा मन तुझे याद कर हो गया एक टूटा हुआ सा कफ़न है


न जाने पिया तू कब अपनी इस नादान साकी की ख़बर लेगा,

मेरा तो आजकल इन सांसो को लेने से ही उजड़ गया मन है


मुझको इतना भी मत सता तू,मेरे प्यारे प्रियतम कान्हा जी,

सुध ले मेरी नही तो में छोड़ दूंगी ये माटी का बना ये तन है।



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