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Nisha Nandini Bhartiya

Others

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

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तार पर टिकी बूंदें

तार पर टिकी बूंदें

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बिजली के तार पर टिकी

पानी की बूंदें 

देखते ही मुझे  

अचानक बोल उठी 


मत समझना पकड़ लिया है 

बिजली के तार ने हमें 

हम तो कर देते हैं 

तार को भी ठंडा


खुशी से आनंद ले रहे हैं हम 

नीचे गिरने का डर जरूर है 

नीचे गिरते ही 

धरती द्वारा पी ली जाऊँगी 


फिर होगा हमारी कष्ट भरी 

यात्रा का आरंभ 

वृक्ष की जड़ में समाकर 

फिर कभी धीरे से 

तने के सहारे 

पत्तों पर आकर 


या तो सूरज द्वारा 

निगल ली जाऊंगी

या राह चलते 

तुम्हारे ऊपर टपक जाऊँगी 


फिर से यात्रा पर निकल 

कष्ट सहूँगी

हम दे रहे हैं चेतावनी 

अगर है हिम्मत तो 

हम पर करो आघात 


क्यों करते हो ?

निरीह लोगों पर चोट 

कल की बात है

ललन तुम्हारे तार से चिपक 

दे बैठा अपनी जान


हम देखने में छोटी 

पर हिम्मत से बड़ी हैं

हम तो स्वेच्छा से 

तुम्हारे झूले पर टिकी हैं।


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