सवेरा
सवेरा
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हुआ सवेरा किरणें आईं
वो किरणें हम सब को भाईं
उन किरणों से गया अंधियारा
प्रकाश फैला हुआ उजियारा
उस उजियारे ने जग को जगाया
सबको अपने काम पर लगाया
चिड़ियां भी अब तो चहक रही हैं
गुलशन में कलियां महक रही हैं
भंवरे कलियों पर मंडरा रहे हैं
मधुर गीत गुनगुना रहे हैं
मधुमक्खी भी अब कहां त्रस्त है
वो भी अपने काम में व्यस्त है
कितना मनोरम दृश्य हुआ है
जैसे आगमन स्वर्ग में हुआ है
अदभुत ऊर्जा यहां प्राप्त हुई है
कविता मेरी यहां समाप्त हुई है।