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Surya Barman

Inspirational

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Surya Barman

Inspirational

स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द

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सागर को गागर में भरते

महान संत स्वामी की गाथा

शब्दों में अलंकृत कर माला

गाथा को पंक्तियों में सजाते


१२ जनवरी सन् १८६३ को जन्में

वीरेश्र्वर शिव के अनुग्रह से 

पिता विश्वनाथ दत्तमाता भुवनेश्वरी देवी

असाधरण मेघा,तेजस्विता,साहस


स्वाधीन मनोभाव,सहृदयता,बंधु प्रीति

खेल कूद के प्रति आकर्षक,

प्रबल आध्यात्मिक तृष्णा

शयन पूर्व ज्योति दर्शन नित्य,


शास्त्रीय भजन संगीत ,गायक,

कुशल अभिनेता, मातृपितृ भक्त बालक 

अल्प अवस्था में पुस्तकों का अध्ययन

गहन गंभीर चिंतन शक्ति जागी उनमें,


गुरु श्री रामकृष्ण को उन्होंने स्वीकारा

जिन्होंने उनके एक प्रश्न पर ईश्वर से मिलाया

गुरु वचनों का अमल किया जीवनपर्यंत

जीव पर दया नहीं शिव भाव से


सबके जीवन की सेवा है करनी

श्रीरामकृष्ण सूत्र है स्वामी जी उनके भाष्य

वराहनगर में रामकृष्ण मठ की स्थापना

नरेंद्रनाथ ने अल्प आयु में हुए सन्यासी


विविदिषानन्द,सच्चिदानंद, विवेकानन्द

आत्मगोपन हेतु विविध नाम धारे

शिकागो विश्वधर्म महासभा में स्वामी

विवेकानंद नाम से आविर्भूत हुए


संन्यास लिया जब परिव्राजक रूप में

समय समय पर करते थे चहुंओर भ्रमण

देशवासियों के मन में जाग्रत करा था

आत्मविश्वास आत्ममर्यादा,आत्मगरिमा


भावों का संचार देश भक्ति का

अल्प आयु में ले ली थी उन्होंने महासमाधि

अन्त समय उनके वचनामृत थे

"पुराने वस्त्र त्याग बाहर आयेंगे


काम से कभी निरत न होऊंगा

मानव को अनु प्रेरित करता रहूंगा

मानव को समझनाहोगा वह खुद भगवान"

वे ही थे भारतीय राजनीतिक,सांस्कृतिक

 आध्यात्मिक स्वाधीनता संग्राम जनक!



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