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Vibha Rani Shrivastav

Children Stories

2  

Vibha Rani Shrivastav

Children Stories

सूझ-बूझ

सूझ-बूझ

2 mins
410




"इतने सारे बिस्कुट के पैकेट! क्या करेगा मानव ?" विभा अपनी पड़ोसन रोमा से पूछ बैठी ।


"क्या बताऊँ विभा! अचानक से खर्च बढ़ा दिया है, बिस्कुट के संग दूध , रोटी , मांस खिलाता है । मेरा बेटा नालायक समझता ही नहीं , महंगाई इसे क्या समझ में आयेगा! सड़क से उठाकर लाया है, एक पिल्ले को ।"


"क्या ! सच!"


"हाँ आंटी! कल मैं जब स्कूल से लौट रहा था तो एक पिल्ला लहूलुहान सड़क पर मिला, उसे मैं अपने घर नहीं लाता तो कहाँ ले जाता ? ना जाने किस निरदई ने अपनी गलती को सुधारना भी नहीं चाहा । माँ मेरी बहुत नाराज़ है , लेकिन यूँ इस हालत में इसे सड़क पर कैसे छोड़ सकता था मैं ?"


           शाम के समय, विभा अपने घर के बाहर टहल रही थी तो पड़ोसन का कुत्ता उसकी साड़ी को अपने मुँह में दबाये बार-बार कहीं चलने का इशारा कर रहा था... वर्षों से विभा इस कुत्ते से चिढ़ती आई थी क्यूंकि उसे कुत्ता पसंद नहीं था और हमेशा उसके दरवाजे पर मिलता उसे खुद के घर आने-जाने में परेशानी होती... अपार्टमेंट का घर सबके दरवाजे सटे-सटे... जब विभा कुत्ते के पीछे-पीछे तो देखी रोमा बेहोश पड़ी थी इसलिए कुत्ता विभा को खींच कर वहाँ ले आया था... डॉक्टर को आने के लिए फोन कर, पानी का छींटा डाल रीमा को होश में लाने की कोशिश करती विभा को अतीत की बातें याद आने लगी


"कर्ज चुका रहे हो" कुत्ते के सर को सहलाते विभा बोल उठी।


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