सत्य
सत्य
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सत्य जब शुरू
उसके नाम से,
राम नाम सत्य पे,
आ के भी
कहाँ.......
खत्म हो पाता है।
कौन झुठला सकता है।
सत्य को,
जिसकी सत्ता में,
तू नजर आता है।
झूठ सौ पैरों से भी,
भाग कर पीछे ही रह जाता है।
भीड़ जुटाने से भी,
झूठ सत्य नही बन पाता है।
अच्छा लगे या न लगे।
साथ चले कोई या न चले।
सत्य को कोई फर्क नहीं पड़ता
सत्य सत्यम शिवम तुम में पाता है।
