सत्ताईस नक्षत्र
सत्ताईस नक्षत्र
होवत सत्ताईस नक्षत्र हिंदी के प्रतिमास
कृतिका रोहिणी मृगशिरा हर कोई है ख़ास
हर कोई है ख़ासआर्द्रा पुनर्वसु अरु पुष्य
अश्लेषा मघा की बरखा भावै सबही मनुष्य
कहता है 'आज़ाद' पूर्वाफाल्गुन कितनी मस्त
झूमत उत्तराफाल्गुनी संग जब आवत हस्त
चित्रा ने चित ले लियौ चातक भयौ उदास
चातक को अब स्वाति से बची है थोड़ी आस
बची है थोड़ी आस विशाखा नहिं अनुराधा
ज्येष्ठा मूल से चातक को बस मिलेगी बाँधा
कहता है 'आज़ाद' आ गयौ पूर्वाषाढ
वाके पीछे आ धमक्यो तब उत्तराषाढ़ा
श्रवण फुहारन संग में अंतर्मन गयो भीज
गोरी गीत सुनावती सावन आयौ तीज
सावन आयौ तीज धनिष्ठा अरु शतामिषा
त्याग पूर्वाभाद्रपद दीजिये मन से इर्ष्या
कहता है 'आज़ाद'उत्तराभाद्रपद की कथनी
कहत रेवती अश्विनी जस करनी वस् भरणी।
