स्थिर चेहरे
स्थिर चेहरे
स्त्रियों के हृदय में छिपे दर्द के
कई स्तर होते हैं
अन्तिम स्तर का दर्द
जो , निरन्तर उसे
उस से मिलने नहीं देता ..
हवा न लगने से नासूर बन जाता है ..
वह भीतर ही भीतर कलपती है
आह ! की आवाज़ भी मौन से ज्यादा मौन रहती है ..
तब ..
उसके चेहरे पर एक स्थायी भाव स्थिर हो जाता है ..
उसमें मुस्कराहट ..
दुःख .. दोनो ढूंढना मुश्किल ..
अनजाने लोग ..
इसे परिपक्वता जान
श्रद्धा से पैर छूते है ..
भीतर का दुःख
इस देवीत्व को पा ..
दृढ़ हो जाता है ..
सबके सिर पर हाथ रख ..
कहती है ..
खुश रहो ।
क्या वो खुश है . ?
यह जानने की कोशिश ..
फुरसत नहीं किसी को ।
समझे ! ये जो
घरों के स्थिर चेहरे हैं ..
ढूढे .. उनकी खुशी ..
उपहार , अमूल्य यही है ।
