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Rajkumar Kumbhaj

Others

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Rajkumar Kumbhaj

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स्पर्श हरा है अभी

स्पर्श हरा है अभी

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स्पर्श हरा है अभी

कल जो आएगा ग्रीष्म

झरेगा, नया होगा

तांबे का पंख लिए उड़ेगा

उड़ जाऊँगा मैं भी

नया हो जाऊँगा मैं भी

उसी की तरह, उसकी याद में

स्पर्श हरा है अभी 


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