Om Prakash Fulara
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नव वधू डोली चढ़ी
करके सोलह श्रृंगार
छोड़ा आँगन बाबुल
लेकर सपने हजार।
माथे पे बिंदिया चमक उठी
सजा गले में हार।
बनी पिया की आंखों का तारा
करके सोलह श्रृंगार।
बजी बधाई घर आँगन
छाया हर्ष अपार
नव वधू आँगन में आई
आँधी
गजल
पतझड़
वात्सल्य
संघर्ष
हिंदी
नारी
चम्पकमाला छन्...
डरो ना
आत्मचिंतन