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Randheer Rahbar

Others

4.5  

Randheer Rahbar

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“संघर्ष रचे नित इतिहास नए”

“संघर्ष रचे नित इतिहास नए”

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जब मन तेरा हो जुगनू सा,

चँदा की लौ से डर कैसा I

तू चल निरंतर बिन रुके

तू पायेगा, चाहेगा मन में जैसा I


तू ध्यान लगा अंतर मन में,

क्षत - विक्षत जब मन तेरा हों I  

मंज़िल फिर तुमसे दूर कहाँ,

ख़्वाबों में जब साहस का डेरा हो I   


मन की जोत जलाओ तुम,

चाहे घनघोर अंधेरा छाया हो ,

दृढ मन कर कदम बढ़ा

पायेगा फिर नया सवेरा वो I

 

कठिनाई से फिर डर कैसा?

चाहे तूफानों से हों सफर भरे I

गिरो फिर उठो निरंतर प्रयास करो ,

खुद मज़िल जय जयकार करे I


जब अग्नि प्रचंड प्रहार करे,

तब मन शीतल तुम कर लेना I

अपनी बुद्धि बल से,

दुश्मन को तब तुम हर लेना I


सोचो उस पल की महिमा तुम,

जगत तेरा सत्कार करे I

हाथों की लकीरें न देखो तुम, 

श्रम गाथा का संचार करें I


संघर्ष रचे नित यशगान नए,

जाने कितने ही बलिदान हुए I

तुम नहीं अकेले इस मेले में,

आशाओं की मशाल लिए I


सपनों के बादल बन तुम,

उस मंज़िल पर बह जाओ I

रच दो कुछ प्रयास नए,

फिर नया सा कुछ कह जाओ I


तुम हिम्मत क्यों हारे हों?

विपदा हों चाहे पर्वत सी बड़ी - बड़ी,

सम्भलो, थोड़ा फिर विचार करो I

कमर कसो, मुट्ठी को भींचो,

गाड़ दो परचम उस दुर्गम चोटी पर,

तुम खुद को यूँ तैयार करो I


 


                                  


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