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Vivek Agarwal

Others

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Vivek Agarwal

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।। सन्देश ।।

।। सन्देश ।।

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साँवरे सुन सन्देश हृदय का, मोहे मोह माया से उबार दे। 

अपने चरणों की पावन रज पै, थोड़ा सा तो अधिकार दे। 


मन मोरा मैला मलिन जान के, न छोड़ना मेरा साथ मुरारी। 

मेरी भक्ति को अपनी शक्ति का, अवलंब और आधार दे। 


बांके बिहारी बसि बसि जावे, छवि तिहारी मोरे नैनन में। 

देखूँ हर पल तोरी मोहिनी मूरत, पूरा कर मोरा मनुहार दे। 


जागत सोवत बस नाम तिहारा, निकले मेरी हर श्वास से। 

और कछु-कौऊ ध्यान ना आबै, हिय में अइसन प्यार दे।


काम क्रोध लोभ मोह मद मेरा, प्रभु इनका तुम नाश करो।  

ज्ञान 'विवेक' भक्ति का हो बसेरा, ऐसे मुझको संस्कार दे। 



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