सम्पूर्ण भारत का विकास
सम्पूर्ण भारत का विकास
समाज के सम्पूर्ण विकास को,
तभी सशक्त कर पायेंगे।
जब हम सम्पूर्ण विकास को,
सम्पूर्णता से अपनायेंगे।।
समाज के सम्पूर्ण विकास को,
तभी सच कर पायेंगे।
ज्ञान की ज्योति जला के।
ज्ञान का प्रकाश ,
जन-जन तक पहुंचायें।
जीवन के सोपानों को,
सिद्ध कर जायेंं।
कोई न रहे ,
वंचित शिक्षा के स्तर पर
यह प्रण उठायें।
जन-जन की मानसिकता को,
ज्ञान-विज्ञान का सार दे जायेंं।
तभी हम संस्कृतिक ,
विकास सिद्ध कर पायेंगे।
भारत देश धरोहर अपनी,
विश्व विख्यात बनायेंगें।
योग अपना के,
शारिरिक क्षमता को ,
सबल बनायेंगें।
आयुर्वेद को अपना के,
रोग मुक्त भारत बनायेंगें।
समाज के विकास को,
राह दें के
अध्यात्म तक ले जायेगें।
मानव जीवन का ,
जन्म हुआ।
जिस उद्देश्य हेतु।
उस उद्देश्य को,
सशक्त बनायेंगें।
समाज के सम्पूर्ण ,
विकास को
सिद्धहस्त बनायेंगें।।