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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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स्कूल का वो पहला दिन

स्कूल का वो पहला दिन

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स्कूल का वो पहला दिन मुझे

बहुत याद आता है।

पहले बालक का अक्स आईने

में नज़र आता है

एक नन्हा दिल सपने हज़ार

लेकर आया है,

हर सपनों में वो मीठा दर्द

बहुत याद आता है

स्कूल का वो पहला दिन मुझे

बहुत याद आता है


वो एक मासूम सी,अल्हड़ सी

प्यारे बच्चों की मुस्कान

उस मुस्कान में हर ग़म,

हर दर्द को में भूल जाता हूं

न कोई ज़माने का ग़म उन्हें

न कोई ज़माने से शिक़वा उन्हें,

वो हंसते खेलते फूलों का बाग

बहुत याद आता है

टूटी थी एक तस्वीर दिल की

टूटे थे सपने थे इस दिल के,

उन अधूरे ख़्वाबों में,

मेरा बचपन याद आता है

स्कूल का वो पहला दिन मुझे

बहुत याद आता है


नये साथियों का साथ,

हर बात में देते वो दाद,

वो नये मित्रों का प्यार मुझे

बहुत याद आता है

पहले ही दिन बालकों से मुझे

इतना स्नेह मिला

जितना कि सितारों को

चमकने का मौका न मिला

वो बालकों का पावन प्रेम,

अनायास ही मेरी आँखों को

गिला कर जाता है

वो स्कूल का पहला मुझे

बहुत याद आता है


वो बालकों का मेरे इर्द गिर्द

बना समूह लगता था 

जैसे मधुमखियों का मेरे चारों ओर

बना कोई समूह हो

वो बालकों की अठखेलियाँ

दिल को लगी थी जलेबियां

वो उनका निर्विकार रूप,

इंद्रधनुष की बहुत याद दिलाता है

वो स्कूल का पहला दिन मुझे

बहुत याद आता है


ये सोचकर बहुत गर्वित होता हूं की,

मे ईश्वर के विविध रूपों से मिलने

जाता हूं

मैं स्कूल जाता हूं

वहां पर मिले अक्स से खुद का

आईना देख आता हूं

मैं स्कूल जाता हूं

स्कूल का वो पहला दिन मुझे

बहुत याद आता है



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