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Chandra prabha Kumar

Others

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Chandra prabha Kumar

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सजी मेरी क्यारी

सजी मेरी क्यारी

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  मेरी बगिया में उतरा वसन्त,

  सजी फूलों से क्यारी।

  धनिये मेथी मूली सोआ के फूल

  कर रहे प्रकृति का श्रृंगार।


 सफ़ेद पीले नन्हे फूलों का अंबार,

 दे रहे सब ओर ख़ुशबू का भंडार।

 प्रकृति का उपहार ये प्यारे फूल,

 धरती पर ईश्वर का वरदान,

  

कुछ समय खिलते हैं फूल,

फिर मुरझा जाने के लिये,

पर आकर्षण का वलय बना,

सबको प्रसन्न कर जाते फूल।


सभी को प्यारे लगते फूल,

सभी के लिये उपयोगी फूल,

जीवन को करते रस भोर फूल,

सभी के काम आते फूल। 


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