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Hardik Mahajan Hardik

Others

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Hardik Mahajan Hardik

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सजा के रखा है

सजा के रखा है

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दिल से आशियाना अपना हम सजा के रखा हैं।

यूँ ही तुमसे गुफ़्तगू अब हम भी करने लगा हैं।


सिमटे हैं जज़्बात अपनों के जहाँ दिल छुपाया,

अल्फ़ाज़ उनके हमारे भी वहाँ बिखरने लगा हैं।


यूँ लगता हैं कि हमने खज़ाना छुपा कोई दिया,

ढूंढ लाओ तब बताना हमें जो सिमटने लगा हैं।


बिखरें जज़्बात अपनों के हमने बिखेर दिया,

हार्दिक करता कोई ना बात बिखरने लगा हैं। 



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