STORYMIRROR

Neelam Sharma

Others

3  

Neelam Sharma

Others

श्रृंगार रस

श्रृंगार रस

1 min
319


सजनी नव श्रृंगार कर,

पिय को रही रिझाय।

पग शिखा तक सजी-धजी,

प्रिय मन-मन हर्षाय।

प्रिय मन-मन हर्षाय ,

मधुर हिया जागी ज्वाला।

नैना नीलम हाय

पिलाते मधु का प्याला,

अधर गुलाबी हाय,

हिलोरें लेती सजनी।

नागिन सी बलखाय,

पिया को भाती सजनी।।


रतिनाथ कह दो मुझसे,

डाला कैसा रंग ?

उर मेरा अब तो हुआ ,

चंचल चपल तुरंग ।।

चंचल चपल तुरंग,

मगन ज्यूँ जोगी रमता।

चाहे साथ नीलम,

अल्हड़ न थामें थमता।।

खोल अधर! कह बोल,

बिछोह क्यूँ छूटे साथ?

दृग मह ले तू झाँक,

मुझसे कह दो रतिनाथ।।


नीलम नैन निहारते,

कान्हा कंचन काय।

गोरी गोरी राधिका,

मनवा रही लुभाय।।

मनवा रही लुभाय!

लगे सु-चाँद पूनम का।

यौवन ललित ललाम,

प्रेम का जपती मनका।।

श्याम कहें मुस्काय,

हिय गया राधा में रम।

राधा तेरे श्याम,

निहारते नैन नीलम।।



Rate this content
Log in