"श्राद्ध"
"श्राद्ध"
पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का,
श्राद्ध, सनातन वैदिक संस्कार।
हम पितरों का स्मरण करें,
श्रद्धा से प्रकट करें आभार।।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में,
पितृ पक्ष का होता आगमन।
पितरों को तृप्त करने के लिए,
हम करें, श्राद्ध तर्पण व नमन।।
श्राद्ध पक्ष में अपने हिस्से का ग्रास,
पृथ्वी लोक पर लेने पितृ आते हैं।
परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर,
तृप्त हो, आशीष देकर जाते हैं।।
पितरों का यदि तर्पण हो जाए,
मुक्ति उन्हें मिल जाता है।
पितरों के पिंडदान से पुत्रों पौत्रों को,
धन, सुख, यश वैभव मिल पाता है।।
फलित हो हमारा श्राद्ध कर्म जब,
जीते जी बुजुर्गों की सेवा कर लें।
उनका हृदय से हम करें सम्मान,
जीवन में ख़ुशियों के फूल खिलें।।
जीते जी न करें, बड़ों की सेवा,
तर्पण श्राद्ध महज़ आडंबर है।
मात पिता के चरणों में स्वर्ग,
वो ख़ुश हो, तो जीवन सुंदर है।।
