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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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श्राद्ध

श्राद्ध

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गीत

श्रद्धा ही है श्राद्ध यकीनन, 

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श्रद्धा ही है श्राद्ध यकीनन

करते जो तर जाते हैं।

अपना जीवन पुरखों के संग, 

लोगों सुखी बनाते हैं।

*****

एक वर्ष में सोलह दिन हैं, 

पूजा तर्पण करने के।

पितरों को अपने खुश करके, 

पूण्य कमा घर भरने के।

मृत्यु दिवस पर उन्हें याद कर, 

पिंड दान करने वाले।

खोल लिया करते हैं अपने, 

बंद नसीबों के ताले।

श्रद्धा से पर उठे कदम ही,

मंजिल तक पहुचाते हैं। 

अपना जीवन पुरखों के संग,

लोगों सुखी बनाते हैं।

*****

कव्वों को पकवान खिलाकर ,

अपनों तक पहुंचाते हम।

गाय और कुत्ते को देकर, 

खाना, देव रिझाते हम। 

दान दक्षिणा भी देते हैं,

राजी सबको करते हैं।

संकट से वो पार गुजरते,

जिनके भाग संवरते हैं।

 गंदी चादर नेकी के जल,

से अपनी धुलवाते हैं।

अपना जीवन पुरखों के संग,

लोगों सुखी बनाते हैं।

*****

पितृदोष से छुटकारे का,

समय यही सबसे उत्तम।

अष्टमुखी रुद्राक्ष पहन कर,

करलो अपने संकट कम।

पानी मिश्रित दूध में हर दिन,

शिवलिंग का अभिषेक करो,

सोलह या इक्कीस मोर के,

पंख रखो संताप हरो।

नारियल जो वार के खुद पर,

जल के बीच बहाते हैं।

अपना जीवन पुरखों के संग,

लोगों सुखी बनाते हैं।

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अख्तर अली शाह "अनंत" नीमच


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