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Pragya Dugar

Others

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Pragya Dugar

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शिक्षक

शिक्षक

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'शि' में शिक्षा, 'र' में रक्षा,

'क' में भरी है कोमलता,

शिक्षक के हर अक्षर में 

भरी है जीवन की साक्षरता,

जन्म से चाहे न हो,

नाता है ये जीवन भर का।


बच्चे सभी हैं अलग अलग पर,

टीचर सबको समानता से पढ़ाता,

आँख दिखाई,डांटा जो कभी,

फिर वही ढेर सारा प्यार बरसता,

जन्म से चाहे न हो,

नाता है ये जीवन भर का।


हर कला को सीखने में जो,

अपना उत्साह दिखाता ,

अपने श्रम से वो शिक्षक ही,

हर छात्र को निपुण बनाता,

जन्म से चाहे न हो,

नाता है ये जीवन भर का।


हर सफल व्यक्ति के साथ,

नाम मात-पिता का आता है,

उनको वहाँ देख कर वो,

गुरु खुशी से मुस्कुराता है,

जन्म से चाहे न हो,

नाता है ये जीवन भर का ।


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