STORYMIRROR

Shishpal Chiniya

Others

3  

Shishpal Chiniya

Others

शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस

1 min
302

न ही बयां करने को कोई अल्फाज है।

बदौलत एक शिक्षक के रोशनी में हम आज है।


कहीं भ्रम के सागर में मैं तैर रहा था।

किनारे से एक फरिश्ता, मुझे देख रहा था।

वो शिक्षक ही था जिसने डुबने से बचाया था।


निकालकर भ्रम के सागर से, मुझे हकीकत में डुबाया था।

वो शिक्षक ही था जिसने एक गुंगे से गाना गवाया था।


रंगमंच पर जिन्दगी का नाटक चल रहा था

वो ही रंगमंच दर्शको को, खुलेआम छल रहा था

वो शिक्षक ही था जिसने अंधे को जग दिखाया था।


कहाँ अक्ल थी मुझ पत्थर मेें 

कहीं बिखरा पडा़ था बदतर मैं।

वो शिक्षक ही था जिसने तरासकर हीरा बनाया था।


न ही बयां करने को कोई अल्फाज है।

बदौलत एक शिक्षक के रोशनी में हम आज है।


Rate this content
Log in