शीर्षक- खेल
शीर्षक- खेल
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तरह तरह के छाये खेल।
सबके मन को भाये खेल।
नही कहा जा सके इसमें,
किसकी बाजी लाये खेल।।
जीत हार तो होती रहती,
कुछ ऐसा दिखलाये खेल।।
नही हार मानों जीवन भर,
सदा सदा सिखलाये खेल।।
खेल भावना से नित खेलो,
आगे जीत मिलवाये खेल।।
