शहादत
शहादत
1 min
145
लड़कियाँ देख रही हैं सपने साथ-साथ
बता रही हैं एक दूसरे को
मनोवांछित जो देखा
माँएं कितनी भी दे आवाज़ें
भैया बुलाए दस बार
अभी तो चुन रही हैं वे
अपने लिए सुयोग्य घर-वर
कल हो जाएगी उनकी शादी
उसे नहीं कहा जाएगा शहादत
वे पहनेंगी लाल जोड़ा
जबकि लिपटना चाह भी
रही होंगी तिरंगे में तब भी
वे जो बैठी हैं पास-पास
उन्हें भी मालूम है अच्छी तरह
घर और वर का चुनाव
उनका नहीं होता
जनतंत्र दूर है
लड़कियों से अब भी।
