शैतानी आईने में।
शैतानी आईने में।
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रात्रि में रोशनी का देख साया,
शैतान आईने में नज़र आया।
दूर-दूर तक कोई भी नहीं था,
ना कोई जानवर ना ही काया।
प्यार भी छोड़ कर चला गया,
साथ छोड़कर गया हमसाया।
सो रहे थे हम तन्हा घर दोस्त,
जागने पे देखा कब्रिस्तान में।
वहां पर थी एक चुड़ैल भयंकर,
खा गई मुझे भोजन समझकर।
जागते ही जोर से गिरा मैं धड़ाम,
सच में भयानक सपना देख राम।

