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Phool Singh

Others

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शास्त्रों में वर्णित

शास्त्रों में वर्णित

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शास्त्रों में होता जिनका वर्णन, करने वाले तो वही कर्म है 

धर्म के होते चरण, जिनमें दया, क्षमा, तप चौथा अपना कर्म है||


काम, क्रोध, लोभ से यारा, नष्ट हो चुके उसके तीनों पग है 

नर्क द्वार तक जो ले जाते, बुरे अपने सभी कर्म है||


यश, ऐश्वर्य, धन नष्ट हो जाते, अधर्म से पूर्ण जिसके कर्म है  

जाल बुनता वो ऐसा भयंकर, वंश होता पूर्ण विनाश है||


लोभ, कलह और चोरी कराता, शीश उठाता फिर, पाखंड है 

सज्जन वहाँ पर रह न सकते, जहाँ होते ये सभी संग है||


अधर्म का बंधु कलियुग होता, वैश्यालय, जुआँ, मधपान सब संग 

श्मशान उसका निवास स्थान, जो सीधा-सीधा पाप का द्वार है||


आत्मा का परमात्मा से मिलन कराते, सत, तप शुद्ध जिसके कर्म है 

नश्वर देह को छोड़ना होता, बस, यही वक़्त की सबसे माँग है||


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