आओ चले उस कश्ती मे जिसे कोई किनारा न मिले। आओ चले उस कश्ती मे जिसे कोई किनारा न मिले।
यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?" यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?"