क्या तुम वो ख्वाब हो, जो सुबह की आंच में पिघलती है या वो गुलाब हो, जो पुराने पन्नो में महकती है क्या तुम वो ख्वाब हो, जो सुबह की आंच में पिघलती है या वो गुलाब हो, जो पुराने ...
पहले जैसी कोई बात अब रही नहीं इसमें ना वो महक है ना वो स्पर्श पहले जैसी कोई बात अब रही नहीं इसमें ना वो महक है ना वो स्पर्श
इसी कसमकस में बस पिस रहा था, वो लाल सुर्ख गुलाब....! इसी कसमकस में बस पिस रहा था, वो लाल सुर्ख गुलाब....!
सुन्दर दिखता वो गुलाब अपने साथ लिए कितने कांटे होता है। सुन्दर दिखता वो गुलाब अपने साथ लिए कितने कांटे होता है।