Sanjay Mehta - Bhopal
Others
कुछ घंटों में खेल खड़ा होता है
और मिट जाता है
एक जादू सा
सब अंधेरे में गायब हो जाता है।
एक बिजली
स्मृति में कौंधती है सबके
प्रकाश बनने के इंतजार में।
ऐसा प्रकाश
जो दूध सा हो।
शरीर
मौन
गांव
भेड़ बकरी
फाँसीवाद के ख...
आदमी
उज्जवल प्रकाश
रंगमंच
ज़हर
साधु