रंगमंच
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कुछ घंटों में खेल खड़ा होता है
और मिट जाता है
एक जादू सा
सब अंधेरे में गायब हो जाता है।
एक बिजली
स्मृति में कौंधती है सबके
प्रकाश बनने के इंतजार में।
ऐसा प्रकाश
जो दूध सा हो।