रिश्तो की पोटली
रिश्तो की पोटली
आज एक पोटली मिली
ख़ुशी से उठा के
जो मैं उसमें झांकने लगी
तो वो खाली सी मिली
फिर मैने उसे हाथों से टटोला
पर कुछ हाथ न लगा
तो मैने आँख बंद कर
मन की आँखो से टटोला
तो उस पोटली में बहुत कुछ था मिला
उसमें मिले रिश्ते ही रिश्ते
हाँ रिश्ते मिले और बहुत मिले
कुछ बंद पिंजरो में मिले
कुछ कैद से कुछ उजाड़ मे
कुछ आज़ाद हुए
कुछ फिसल गए
कुछ बहल गए
कुछ सहल गए
कुछ सहम गए
कुछ रहम गए
कुछ गहन हुए
कुछ ज़हन हुए
कुछ सहन हुए
हाँ रिश्ते मिले बहुत मिले
बंद पोटली में मिले
रिश्तों की पोटली में मिले
कुछ उड़ते गए
कुछ साथ रहे
कुछ रोते रूलाते रहे
कुछ हँसते हँसाते रहे
रिश्ते मिले....