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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

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रहेगी यारियां

रहेगी यारियां

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उसका बचपन ही रहा, 

गयी ना नादानियाँ 

कद से केवल बढ़ता गया, 

उठायी ना ज़िम्मेदारियाँ 


कौन कब किसे समझता, 

चलती रही दुनियादारियाँ 

अपने कर्म छुपते नहीं, 

नहीं चलती पर्दादारियाँ 


नज़र से नज़र नहीं मिलती, 

होती नहीं एहलेदारियाँ 

कोई रसूख ना बना, 

काम आयी नहीं आवारियाँ, 


तुम अकेले ना रहोगे "उड़ता ", 

तेरे करीब रहेगी यारियां।


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