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प्यारी माँ

प्यारी माँ

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अवर्णनीय है ओ माँ तू

तुझ पर मैं क्या शब्द लिखूं

अबोल हुए सब तेरे आगे

कैसे मै कुछ शब्द लिखूं।

 

वश में नहीं अब मेरी लेखनी

मन के भावों को अभिव्यक्त करूँ

अव्यक्त भाव ही तुझको अर्पण

कैसे मैं कोई काव्य लिखूं।

 

हर रूप में छाया तेरी ही

अवलोकित करता मेरा मन

अवरोध नहीं मुझे अन्धकार का

कैसे मै कोई शब्द लिखूं।

 

चाह तेरे आंचल की छाया

नन्हां मन शिशु फिर बनने को

वो तेरी लोरी की मिठास

कैसे मैं कोई शब्द लिखूं।

 

हर देव तेरे सम्मुख नतमस्तक

फिर भी मैं तेरी संतान हूँ माँ

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि माँ बस

कैसे मैं कुछ शब्द लिखूं।


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