प्यार का इज़हार
प्यार का इज़हार
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हुस्न है तो हुस्न का सिंगार होना चाहिए
है किसी से इश्क तो इज़हार होना चाहिए।
गर क़यामत आ भी जाये ग़म नहीं फिर है कोई ,
बस नज़र में खूबसूरत प्यार होना चाहिए।
जीतने के बाद गिरगिट सा बदलते रंग जो
उनको वापस लाने का अधिकार होना चाहिए।
ताज़ का और तख़्त का भी तो ज़माना लद गया,
अब प्रजा के हाथ में सरकार होना चाहिए।
चाहते हैं हमसे वो जुड़ना मगर कहते न कुछ.
कुछ भी हो रिश्ते का इक आधार होना चाहिए ।
