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Shalfnath Yadav

Others

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Shalfnath Yadav

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पूणि॔का

पूणि॔का

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खुशियों का हर शख्स यहाँ दीवाना लगता है

तकलीफों से बस मेरा याराना लगता है

लाख छुपाये लेकिन कोई छुपा ना पाता है

मुझको हर चेहरा जाना-पहचाना लगता है

सोने-चांदी से उसका भण्डार भरा है देखा

लेकिन भूख मिटाने को तो दाना लगता

मेरी अपनी नहीं झोपड़ी शीश छुपाने को

मुझको तो अम्बर ही सिर्फ ठिकाना लगता है

इच्छाएं सारी की सारी पूरी किसकी होती है

मन के माफिक सब कुछ मुश्किल पाना लगता है

आते-जाते दुश्मन जब भी गाना गाता है

ऐसा गाना उसका मुझको ताना लगता है

रूप-रंग से 'पॖम' किसी के क्या है लेना-देना

पॖेमी कैसा भी हो हमें सुहाना लगता है।


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