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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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प्रतियोगिता

प्रतियोगिता

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प्रतियोगिता में हम हिस्सा, 

इसीलिए तो लेते हैं ।

पता हमें चल जाता कीमत, 

कितनी जहाँ लगता है।।

*****

मुकाबला कोई भी हो वो, 

ऊर्जा नापा करता है। 

संकल्पित कदमों में हरदम, 

शक्ति विलक्षण भरता है।।

चरम बिंदु छूने की मंशा, 

लेकर के नित बढ़ते जो ,

मंजिल उसके कदम चूमती, 

बाधाओं से लड़ते जो ।।

होड़ा होड़ी का हर लम्हा, 

यश परचम फहराता है। 

पता हमें चल जाता कीमत ,

कितनी जहाँ लगता है ।।

*****  

जीवन में हर बार जीतना ,

किसको नहीं सुहाता है ।

कमजर्फो को भी आंखों का, 

तारा बनना भाता है ।।

प्रतियोगिता में कोई पर ,

कब उन्नीस हुआ करता। 

जितनी जिसकी ताकत होती, 

दर्द जहाँ का वो हरता ।। 

निकल दौड़ में आगे जाना, 

पुरस्कार दिलवाता है ।

पता हमें लग जाता कीमत, 

कितनी जहाँ लगता है ।।

******

"अनंत" कोई खेल नहीं है ,

ताज रहे हरदम सिर पर ।

सिंहासन को छोड़े कोई, 

सिंहासन पर ही मरकर ।। 

जोड़तोड़ कर कोई कब तक 

सिक्का सदा चलाएगा ।

टिका गगन में कबतक कोई  

वो जमीन पर आएगा ।।

आगे बढ़ने का जज्बा पर, 

जीवन ज्योति जलाता है ।

पता हमें लग जाता कीमत, 

कितनी जहाँ लगता है ।। 



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