प्रतियोगिता
प्रतियोगिता
प्रतियोगिता में हम हिस्सा,
इसीलिए तो लेते हैं ।
पता हमें चल जाता कीमत,
कितनी जहाँ लगता है।।
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मुकाबला कोई भी हो वो,
ऊर्जा नापा करता है।
संकल्पित कदमों में हरदम,
शक्ति विलक्षण भरता है।।
चरम बिंदु छूने की मंशा,
लेकर के नित बढ़ते जो ,
मंजिल उसके कदम चूमती,
बाधाओं से लड़ते जो ।।
होड़ा होड़ी का हर लम्हा,
यश परचम फहराता है।
पता हमें चल जाता कीमत ,
कितनी जहाँ लगता है ।।
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जीवन में हर बार जीतना ,
किसको नहीं सुहाता है ।
कमजर्फो को भी आंखों का,
तारा बनना भाता है ।।
प्रतियोगिता में कोई पर ,
कब उन्नीस हुआ करता।
जितनी जिसकी ताकत होती,
दर्द जहाँ का वो हरता ।।
निकल दौड़ में आगे जाना,
पुरस्कार दिलवाता है ।
पता हमें लग जाता कीमत,
कितनी जहाँ लगता है ।।
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"अनंत" कोई खेल नहीं है ,
ताज रहे हरदम सिर पर ।
सिंहासन को छोड़े कोई,
सिंहासन पर ही मरकर ।।
जोड़तोड़ कर कोई कब तक
सिक्का सदा चलाएगा ।
टिका गगन में कबतक कोई
वो जमीन पर आएगा ।।
आगे बढ़ने का जज्बा पर,
जीवन ज्योति जलाता है ।
पता हमें लग जाता कीमत,
कितनी जहाँ लगता है ।।
