"प्रकृति के उपहार"
"प्रकृति के उपहार"
ये सूरज, चाँद व तारे,
सुंदर हैं इनके नजारे!
नील गगन में रहते हैं,
लगते हैं कितने प्यारे!!
ये झरने झील व नदियां,
कल कल करके बहती हैं!
पीने को मिलता मृदु जल,
खेतों को सींचा करती हैं!!
ये रंग बिरंगे सुंदर फूल,
जीवन को महकाते हैं!
ख़ुश्बू से मन हो प्रसन्न,
ग़म भी हम भूल जाते हैं!!
प्रकृति के हम सदैव ऋणी,
हमें विविध उपहार देती हैं!
कई रंग रुपों से प्रकृति हमें,
प्यार भी कितना करती है!!
पूरब में उदित होकर सूरज,
तम हर जग रोशन करता है!
जीवन में प्रकाश भर करके,
मन प्रफुल्लित करता है!!
धरती के सीने को चीर कर,
हम अन्न को उपजाते हैं!
खा कर तृप्त हम होते हैं,
ख़ुश हो हम जीवन जीते हैं!!
पेड़ पौधे धरती के हैं गहने,
ये करते हैं प्रकृति का श्रृंगार!
गर्मी, वर्षा व शरद ऋतुएं,
प्रकृति से मिले हमें उपहार!!
जीव जंतुओं के लिए भी,
जंगल है प्रकृति का वरदान!
हम कर रहे प्रकृति से खिलवाड़,
एक दिन मिटेगी हमारी पहचान!!
जीवन जीने के लिए हमें,
वृक्षों से मिलता है ऑक्सीजन!
पेड़ों को नित हम काट रहे,
मुश्किल में होगा हमारा जीवन!!
प्रकृति ने दिए अनुपम उपहार,
जीवन ख़ुशहाल रहता है!
हम भी करें इनकी सुरक्षा,
कर्तव्य हमारा बनता है!!
