STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Others

2  

अच्युतं केशवं

Others

प्रकृति का शिशु है वह

प्रकृति का शिशु है वह

1 min
258

फूल को खिलने दो

रंगीन हो या रंग हीन,

गंधमय हो या गंधहीन,

घास पर खिले या शाख पर,

जल में खिले या स्थल में,

नगर-वन-ग्राम में

उसकी अपनी निजी

पूरी पुष्पवत्ता के साथ

खिलने दो फूल को।


मंद मंद समीर संग,

हौले हौले हिलने दो,

लहरों के साथ साथ

ताल में तिरने दो,

करने दो जीवन को

रंग में,रस में,गंध में,

नाद में स्पर्श में,

स्वयं को रूपायित

प्रकृति का शिशु है वह फूल,

और शिशु भी फूल है।



Rate this content
Log in