परिवार
परिवार
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परिवार साथ रहने वाले
लोगो से बनता है
जिनसे हमारा खून का रिश्ता है
भले ही हमारे अचार विचार
व्यवहार कभी न मिले
मिलता है तो बस रगों में
बहने वाला खून
जो हमे हमेशा
बांधे रखता है
हमारे मन में हो लाख लोगो के लिये गुबार हो
पर ये सारा गुबार
पल भर में में ही बह जाता है
जब हमारा कोई अपना
मुशीबत में हो
हम सब कुछ भूल कर
उसकी मदद के लिये
आगे बढ़ जाते हैं
इस होता है परिवर
जहाँ कोई
स्वार्थ नही होता
बस अपनापन
और परवाह होती है
जो दिखाई दिखाई नही देती
न ही जताई जाती
ये तो बस महसूस की जाती है।
