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Wakil Kumar Yadav

Others

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Wakil Kumar Yadav

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परिस्थितियां

परिस्थितियां

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कल शीशा था

सब देख-देख कर जाते थे।

   आज टूट गया,

सब बच-बच कर जाते हैं।

  समय के साथ,

देखने और इस्तेमाल का

नजरिया बदल जाता है।

   

एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था,

एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है.

रख भरोसा खुद पर

क्यो ढूंढता है फरिश्ते


पंछीओ के पास कहाँ होते है नक्शे

फिर भी ढुंढ लेते है रास्ते

        

        


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