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Vishal Agarwal

Others

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Vishal Agarwal

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“पर इनको क्या कि लाखों बच्चे अब भी भूखे सोते हैं”

“पर इनको क्या कि लाखों बच्चे अब भी भूखे सोते हैं”

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लाशों पर ढोलक बजती है अरबों के ख़र्चे होते हैं 
पर इनको क्या कि लाखों बच्चे अब भी भूखे सोते हैं
कुछ तरस रहे हैं रोटी को कुछ के घर में पकवान बने कैसे सुधरे इनका जीवन जब सत्ता ही अंजान बने
लाल बत्तियों की गाड़ी में हैं काले शीशे चढ़े हुऐ
जनता कोने से देख रही सब राज-काज है खड़े हुऐ
लेकिन सत्ता की चाभी तो होती इनके हाथों में है
जिनकी न तो कोई सुनवाई है जो पड़े हुए लातों में हैं
जो नहीं माँगते मंत्रीपद न गैस एजेंसी मान रहे
बस अच्छे जीवन के सपने इनकी आँखों से झाँक रहे
जिनकी चाहत बस इतनी है इज़्ज़त उनकी भी बची रहे
तुम चाहे गद्दी पर बैठो उनकी भी खटिया बिछी रहे


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