STORYMIRROR

Pawanesh Thakurathi

Others

4.8  

Pawanesh Thakurathi

Others

पलायन की मार

पलायन की मार

1 min
194


गाँवों पर पड़ी जब से

पलायन की मार प्यारे

तब से रो रहे हैं 

वतन के गाँव सारे। 


खेत और खलिहान सब

सो गये हैं नींद में

बचे-खुचे लोग सब

जी रहे उम्मीद में

गाँवों ने जब निभाई

अनुकरण की रस्म प्यारे

तब से रो रहे हैं 

वतन के गाँव सारे। 


परंपरा गायब हुई

खो गई सब रीतियाँ

जी रहीं अब भी वहाँ 

स्वच्छंद हो कुरीतियाँ

गांवों ने जब उतारी

निज सभ्यता की टोप प्यारे

तब से रो रहे हैं 

वतन के गाँव सारे।। 


Rate this content
Log in