पिता
पिता


पिता वो दुःख की पीड़ा से ग्रसित महान पुरुष हैं
जिसके चेहरे पर दुख होते हुए भी खुशी दिखाना
उनकी पहचान है।
पिता वो खजाना है, जिनके खजाने में असीमित
ख़ुशियाँ लाल के लिए समर्पित होती हैं।
पिता वो अनमोल रत्न हैं, जिनकी तुलना करना
किसी कलमकार की कलम से संभव नहीं है।
पिता वो महान पुरुष हैं, जिनकी मौजूदगी ही घर
में चार चाँद लगाती है।
पिता वो जादूगर हैं, जो अपनी जादू की छड़ी से
अपने लाल के तमाम दुखों को पल में दूर कर
देते हैं।
पिता वो पीड़ित इंसान है, जिनकी पीड़ा का
एहसास उन्हें स्वयं नहीं होता।
पिता वो नीर हैं, जिनकी एक बूँद का स्पर्श होने
मात्र से ही औलाद का जीवन सँवर जाता है।
पिता वो अनमोल रत्न है, जिनके न होने की पीड़ा
आपको तब समझ आएँगी जब उनकी कुर्सी घर
में आप रिक्त पाएँगे।
पिता वो कोहिनूर है, जिनकी अहमियत का पता
लगाना हो, तो पूछो उस पुत्र से जिसने अपने पिता
को खोया है।