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Manu Sweta

Others

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Manu Sweta

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फटी जेब

फटी जेब

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अहसासो के ताने में

प्यार के धागों से

मैंने एक कुर्ता बनाया,

रिश्तो के रंगों से

सजाया इसको,

सुख दुख की

सुई से सिया इसको,

परिवार के सुंदर सुंदर

बटनों से सजया इसको,

विश्वास की जेब भी

लगायी इसमें,

और फिर कुर्ते को

पहना और मज़ा

खूब किया मैंने।

लेकिन कुछ दिनों बाद

विश्वास की जेब

फटने लगी,

धीरे धीरे रिश्तो के रंग

भी उतरने लगे,

उस फटी जेब से

एक एक करके

बटन भी गिरने लगे,

और वो प्यारे लम्हे

उस जेब मे आ न सके।

आज वो कुर्ता

बस खूंटी पर टंगा

रहता है,

और देखता है

रिश्तो के बदलाव को,

मन ही मन कुढ़ता रहता है,

सोचता है यदि मैने

उस फटी जेब मे

मर्यादा का पैबंद लगा दिया होता,

तो आज मैं यूँ

लाचार न टंगा होता।



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