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Abhishek Singh

Others

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Abhishek Singh

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फिर आयी याद !

फिर आयी याद !

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फिर आयी याद,

फिर रोया दिल,

फिर सहमा दिल,

फिर तड़पा दिल,

फिर भी उन्हें,

कुछ नहीं कहता, दिल।


क्या करूँ इस दिल का,

जो दिमाग की नहीं सुनता।

क्या करूँ इस दिल का,

जो दर्द नहीं बाँटता।


क्या करूँ इस तन का,

जिससे दिल नहीं समहलता।

अब तो सब कुछ बकवास

सा लगता है।

उनकी यादों में सब कुछ

हताश सा लगता है।


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