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Dr.Purnima Rai

Others

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Dr.Purnima Rai

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पेड़ से ही तो जिंदगानी है

पेड़ से ही तो जिंदगानी है

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पेड़ से ही तो' जिंदगानी है।

आब से ही मिली रवानी है।।

धूप उतरी चमन खिला सुंदर

बागबाँ को मिली जवानी है।।

मेघ गरजे हुआ गगन पागल

आज धरती दिखे सुहानी है।।

ओस की बूँद फूल पर चमकी

पीर तारों की' ये पुरानी है।।

धूल उड़ती फिज़ा भी' है निखरी

साँझ की ये नयी कहानी है।।

रेत पर बन गये निशाँ देखो 

हार में जीत भी मनानी है।।

मुक्त हो कर उड़ें परिन्दे भी

"पूर्णिमा "भी हुई दिवानी है।।



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