पास उसकी नहीं निशानी
पास उसकी नहीं निशानी
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पास उसकी बस निशानी है यहां
प्यार की ऐसी कहानी है यहां
याद ने उसकी सितम ढ़ाए इतने
रोज आंखों में ही पानी है यहां
तोड़कर वादा गया वो प्यार का
ज़िंदगी तन्हा बितानी है यहां
जा चुका है छोड़कर जब वो मुझे
अब किसी बातें सुनानी है यहां
वो निगाहें तो फरेबी निकला है
अब आँखें किससे मिलानी है यहां
क्या नयी तुझसे सुनाऊँ गुफ़्तगू
दास्तां दिल में पुरानी है यहां
बेवफ़ा निकला वहीं जो एक था
दोस्ती किससे निभानी है यहां
ताकि आज़म को मिले चैनो सकूं
यादें उसकी सब भुलानी है यहां ।